यह कविता मेरी दूसरी पुस्तक "कयामत की रात" से है जो कि एमाज़ॉन किंडल पर उपलब्ध है। यह एक सत्य घटना पर ... यह कविता मेरी दूसरी पुस्तक "कयामत की रात" से है जो कि एमाज़ॉन किंडल पर उपलब्ध है।...
क्या निशान छोड़ता आखिर वो जिसे मिट्टी में ही मिल जाना था। क्या निशान छोड़ता आखिर वो जिसे मिट्टी में ही मिल जाना था।
जब तक जला मैं शान से। मैं सबको प्रकाश दे गया। जब तक जला मैं शान से। मैं सबको प्रकाश दे गया।
दूसरों के ऊपर कीचड़ उछालने वाले तू भी माटी का ही बना पुतला है, दूसरों के ऊपर कीचड़ उछालने वाले तू भी माटी का ही बना पुतला है,
पहले फूंको कलुष भाव को, निज दोषों का दाह करें पहले फूंको कलुष भाव को, निज दोषों का दाह करें
हर साल की तरह इस साल भी हम रावण का पुतला जलाएंगे। हर साल की तरह इस साल भी हम रावण का पुतला जलाएंगे।